फतेहपुर । जनपद के हसवा में ऐतिहासिक कस्बे में लगभग तीन सौ वर्षों से लगातार श्री स्वामी चंद दास जी महाराज रामलीला परिसर में रामलीला का आयोजन किया जाता है । जिसमें लंका दहन लीला का सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा बड़े ही सुंदर ढंग से किया गया ।
रामलीला को देखने के लिए हसवा,मिचकी,छीतमपुर,भभैचा,फरीदपुर ,टीसी,आमापुर,एकारी सहित अन्य ग्रामीण आंचल से लोगों की भीड़ उमड़ती है । भगवान राम लक्ष्मण सीता की खोज करते-करते वन में आगे बढ़ते हुए पंपापुर पहुंचें और किष्किंधा पर्वत पर अपना निवास स्थान बनाएं ।
सुग्रीव के गुप्तचर ने बताया कि दो मनुष्य ऋषि मुनि का भेष बना कर वन में घूम रहे हैं । तब सुग्रीव वीर हनुमान को रूप बदलकर पता लगाने की भेजते हैं कि आखिर वह दो व्यक्ति कौन है । बड़ी चतुराई से वीर हनुमान सब पता लगा लेते हैं और जैसे ही पता चलता है कि वह अयोध्या के महाराज के पुत्र हैं । अपने कंधों पर बैठकर राम लक्ष्मण को लेकर महाराज सुग्रीव के पास पहुंचते हैं । भगवान राम और सुग्रीव अपनी-अपनी बात समझ रखते हैं और अग्नि को साक्षी मानकर मित्रता होती है । भगवान राम द्वारा सुग्रीव के बड़े भाई बाली का वध किया जाता है । बल्कि अपने पुत्र अंगद को भगवान को सौंप देता है । उधर सुग्रीव अपने बंदर भालू की सेना को चारों दिशाओं में भेजते हैं और कहते हैं कि एक माह के अंदर जानकी का पता लगाकर ही वापस आना है । दक्षिण दिशा में पहुंची हनुमान और उनकी सेना जटायु के भाई के पास पहुंचते हैं । वह बताते है कि समुद्र के पार लंका नरेश रावण मां सीता को हरण ले गया है । उसने बढ़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन रावण ने उसके दोनों पंख काट दिए हैं । हनुमान आकर पूरी बात महाराज सुग्रीव को बताते हैं, तब हनुमान को दूत बनाकर भेजा जाता है । वीर हनुमान समुद्र को पार करके लंका पहुंचते हैं और अशोक वाटिका में फल आदि खाने लगते हैं । रावण के पुत्र को जब यह बात पता चलती है । तब वह हनुमान को रोकने आता है । वीर हनुमान द्वारा अक्षय कुमार और उनके सैनिकों का वध किया । इसी बीच मेघनाथ अशोक वाटिका पहुंचते है और वह वीर हनुमान को बंदी बना लिया जाता है । वीर हनुमान को रावण के समक्ष लाया गया । वीर हनुमान रावण को समझने की बहुत कोशिश करते हैं ।लेकिन रावण एक नहीं सुनता है । अंत में रावण द्वारा वीर हनुमान को करने का आदेश दिया जाता है तभी विभीषण समेत अन्य मंत्री गण कहते हैं कि दूत का वध करना उचित नहीं है ।
वही रावण ने कहा कि बंदर को अपनी पूछ सबसे प्यारी होती है । इसकी पूंछ में आग लगा दिया जाए । वीर हनुमान की पूंछ में सैनिकों द्वारा आग लगा दी गई । वीर हनुमान घूम घूम कर पूरी लंका को जला दिया । सिर्फ विभीषण के घर को छोड़ देते हैं । इसके बाद अशोक वाटिका पहुंचते हैं और माता सीता को राम द्वारा दी गई अंगूठी दिखाते हैं । वही मां सीता से आशीर्वाद लेकर फिर रामा दल में आ जाते हैं और पूरी बात राम लक्ष्मण सहित सुग्रीव आदि को बताते हैं,सभी लंका में चढ़ाई करने की तैयारी कर देते हैं ।