रिपोर्ट – मानव कुमार
भिड़ौरा/बांदा । भागवत कथा का तीसरे दिन वेद व्यास देवशरण त्रिपाठी ने बताया कि भगवान विष्णु के पांचवें अवतार को वामन अवतार कहा जाता है ।
वामन अवतार के बारे में धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में भाद्र पद महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वामन अवतार में जन्म लिया था । इस दिन को वामन जयंती के रूप में मनाया जाता है । वामन अवतार में भगवान विष्णु ने बौने ब्राह्मण का रूप धारण किया था । वामन अवतार के बारे में एक कहानी है कि उस समय दैत्यराज बलि ने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया था । देवताओं की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था ।
वामन अवतार से जुड़ी कहानी के मुताबिक, एक बार राजा बलि नर्मदा नदी के किनारे यज्ञ कर रहे थे वामन देव वहां पहुंचे और राजा बलि से दान मांगा राजा बलि ने सोचा कि बालक ब्राह्मण है तो तीन पग ज़मीन देने में कोई दिक्कत नहीं है वामन देव ने एक पग से धरती और दूसरे पग से आकाश नाप लिया । अब तीसरा पग रखने के लिए कोई जगह नहीं बची थी, तब राजा बलि ने वामन देव को अपने सिर पर पैर रखने के लिए कहा ।
रामायण के अनुसार दशरथ के मन में, नौ हजार वर्ष की आयु में पुत्र का आभाव होने की ग्लानि हुई ।
इस उपरांत सम्राट दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ (पुत्र प्राप्ति यज्ञ) कराया । रानी कौशल्या ने आकर बड़ी प्रसन्नता के साथ श्रद्धापूर्वक घोड़े की परिक्रमा की और घोड़े को त्रि कृपाण से मारा रानी कौशल्या ने अनुष्ठान के परिणामों की इच्छा रखते हुए एक रात उस घोड़े के साथ बितायी जो पक्षी की तरह उड़ता था । तब पुजारी एक नियंत्रित इंद्रियों के साथ घोड़े की चर्बी ली और उसे शास्त्रों के अनुसार पकाया, फिर आग की वेदी में गिराकर भोजन के रूप में सेंकने लगे । यज्ञ के फलस्वरूप उनके पुत्रों का जन्म हुआ । श्रीराम चारों भाइयों में सबसे बड़े थे । एक मान्यता के अनुसार उनकी एक बहन भी थी जिसका नाम शांता था हालाँ कि वाल्मीकीय रामायण, अध्यात्म रामायण एवं श्रीरामचरितमानस जैसे सर्वमान्य ग्रन्थों में कहीं शांता का उल्लेख नहीं है ।
महाभारत के अनुसार शांता महाराज दशरथ के मित्र लोमपाद की पुत्री थी जिनका विवाह ऋष्यशृङ्ग (शृंगी ऋषि) से हुआ था । श्रीराम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था । इसलिए हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को श्रीराम-जयंती या रामनवमी का पर्व मनाया जाता है । कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्री के १२ बजे हुआ था । कृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी के नाम से भारत, नेपाल, अमेरिका सहित विश्वभर में मनाया जाता है। कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था । वे माता देवकी और पिता वासुदेव की ८वीं संतान थे । इस अवसर पर डॉ० जय प्रकाश अवस्थी पूर्व प्रोफेसर आयुर्वेदिक कॉलेज अतर्रा स्वामी भैरव दास राजस्थान, श्रीराम शुक्ल, सुनील शुक्ल, ज्वाला प्रसाद तिवारी, राम प्रताप तिवारी, गुरुशरण, मुन्नू यादव, रामप्रताप निगम, रामराज विश्वकर्मा, छत्रपाल सिंह, पूरण विश्वकर्मा छानी,आदि लोग उपस्थिति रहे ग्राम विकास फाउंडेशन के सचिव डॉ भरतलाल ने सभी का आभार व्यक्त किया ।