
लखनऊ । पीजी (एमडी/एमएस) कर सरकारी नौकरी में वापसी न करने वाले डॉक्टरों पर सरकार बेहद सख्त है । अब ऐसे सरकारी डॉक्टरों की आरसी जारी कराने की तैयारी है । उनसे आरसी के जरिए सरकारी अनिवार्य सेवा बांड की धनराशि वसूल की जाएगी । चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 2017 से 2022 के बीच पीजी करने वाले 38 डॉक्टरों को चिन्हित किया है । इनमें से तीन डॉक्टरों ने नोटिस मिलने पर एक-एक करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा भी करा दिए हैं । जबकि कुछ लोगों ने कोर्ट का द्वार खटखटाया है । हालांकि उन्हें कोई राहत मिलती नहीं दिख रही । सरकारी डॉक्टर सेवा में रहते हुए पीजी (एमडी/एमएस) करने जाते हैं ।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की चाह में सरकार ने उन्हें पीजी कराने की राह आसान कर रखी है । पांच साल की सेवा वाले प्रादेशिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के चिकित्सकों को नीट 30 फीसदी अतिरिक्त अंक मिलते हैं । उन्हें नीट क्वालीफाई करना होता है । अतिरिक्त अंक मिलने से पीजी कक्षाओं में आसानी से प्रवेश मिल जाता है । फिर विभाग उन्हें पीजी करने के लिए एनओसी भी जारी करता है । मगर तमाम चिकित्सक पीजी करने के बाद सरकारी सेवा में लौटते ही नहीं हैं । जबकि उन्होंने 10 साल की सेवा देने का बांड भरा होता है ।
कार्रवाई के डर से पांच डॉक्टर नौकरी में लौटे
पीजी कर न लौटने वाले चिन्हित 38 सरकारी डॉक्टरों में से 29 की आरसी जारी कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है । अब जिला प्रशासन के माध्यम से विभाग उनसे बांड की एक करोड़ की धनराशि वसूल करेगा । पांच डॉक्टर ऐसे भी हैं,जो भय से सरकारी सेवा में लौट आए हैं जबकि एक डॉक्टर ऐसे भी हैं, जिन्होंने पीजी भी पूरी नहीं की और सेवा में भी नहीं लौटे ।
प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कार्रवाई के लिए महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा किंजल सिंह को निर्देश दिए गए हैं ।