
फतेहपुर । जनपद में नया शैक्षिक सत्र आरंभ हो चुका है, लेकिन अब तक जिला शुल्क नियामक समिति की बैठक नहीं हुई है । इससे निजी स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी पर कोई रोक नहीं लग पा रही है ।
युवा विकास समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि निजी स्कूलों ने इस बार किताबों में बदलाव किया है । लेकिन बैठक न होने के कारण इसकी जानकारी समय पर नहीं मिल पा रही है । यदि जल्द बैठक नहीं हुई तो बाद में अधिकारी भी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने में असमर्थ रहेंगे ।
जिले में लगभग 70 निजी स्कूल हैं जिनमें करीब 95 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं । निजी स्कूलों पर नियंत्रण रखने और छात्रों तथा अभिभावकों को राहत देने के उद्देश्य से प्रदेशभर में जिला शुल्क नियामक समिति गठित की गई है ।
इस समिति के अध्यक्ष जिले के जिलाधिकारी होते हैं,जबकि डीआई ओएस इसके सचिव होते हैं । यह समिति शिकायतों की सुनवाई कर सकती है । हालांकि, समय पर बैठक न होने के कारण शिकायतों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है,जिससे निजी स्कूल अपनी मनमानी करने में सक्षम हो रहे हैं ।
समिति का मुख्य कार्य निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाना है । लेकिन इसके निष्क्रिय होने से अभिभावकों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं ।
नियम विरुद्ध शुल्क वृद्धि । पुराने छात्रों से भी प्रवेश शुल्क लिया जाना ।पांच साल से पहले स्कूल यूनिफार्म में बदलाव । किसी विशेष दुकान से किताबें खरीदने का दबाव ।
– शुल्क विवरण स्कूल के सूचना पट्ट और वेबसाइट पर न दिखाना ।
अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूल अपने हिसाब से काम कर रहे हैं । शुल्क वृद्धि से लेकर किताबों की खरीद तक उनकी ही मनमानी चल रही है ।
शोभा मिश्रा (अभिभावक) का कहना है, “भले ही स्कूल स्लिप पर लिख कर दुकान का नाम नहीं दे रहे हैं, लेकिन किताबें सिर्फ तय दुकानों पर ही मिल रही हैं । इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है ।”
प्रवीन पांडेय खागा (अभिभावक) ने कहा, “जिला शुल्क नियामक समिति अभिभावकों के लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म है । लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है । स्कूलों ने फीस बढ़ा ली,किताबों में बदलाव कर दिया । लेकिन अधिकारियों ने एक बैठक तक नहीं की ।”
नियमों के अनुसार, स्कूलों को सत्र शुरू होने से 60 दिन पहले फीस संरचना सार्वजनिक करनी होती है लेकिन ऐसा नहीं किया गया । किताबों के बार-बार बदलने पर भी कोई रोक नहीं लगाई गई है ।
युवा विकास समिति के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र मिश्र ने कहा, जनवरी से डीएम और डीआईओएस को शिकायत किया जा रहा हैं,लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई हमें यह भी जानकारी नहीं है कि समिति में अभिभावकों का प्रतिनिधि कौन है । अधिकारियों द्वारा गोपनीय प्रतिनिधि रखकर हस्ताक्षर करवाए जाते हैं । जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं ।
शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और सुचारू बनाने के लिए जरूरी है कि जिला शुल्क नियामक समिति की बैठक समय से हो और निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाई जाए । अभिभावकों की मांग है कि प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से ले और छात्रों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करे ।