
फतेहपुर । बड़ी श्रद्धा के साथ सिखों के पांचवे गुरु का शहीदी दिवस मनाया गया । ज्ञानी सिमरजीत सिंह ने बताया कि सिख धर्म के पांचवें गुरु, गुरु अर्जुन देव जी को मुगल सम्राट जहाँगीर के शासनकाल में वर्ष 1606 में शहीद कर दिया गया था ।
बता दें कि वर्ष 1605 में जब मुगल बादशाह अकबर की मृत्यु हुई तो जहांगीर ने राजगद्दी संभाली । उनके साम्राज्य संभालते ही गुरु अर्जुन देव के विरोधी सक्रिय हो गए और वे जहांगीर को उनके खिलाफ भड़काने लगे । इसी दौरान शहजादा खुसरो ने अपने पोता जहांगीर के खिलाफ बगावत कर दी और गुरु जी के पास शरण ले ली । इस बात की जानकारी जब जहांगीर को हुई तो उसने अर्जुन देव को बंदी बना लिया ।
जहांगीर ने गुरु जी पर बगावत का आरोप लगाया उन्हें भयानक यातनाएं दी गईं । उन्हें गर्म तवे पर बैठाया गया । उनके ऊपर गर्म रेत और तेल डाला गया इस तरह पांच दिनों तक लगातार यातनाएं दी गईं । इन यातनाओं का उन पर इतना भयानक प्रभाव पड़ा कि वे मूर्छित हो गए । इसके बाद जहांगीर ने क्रूरता की हदें पार करते हुए गुरु जी के मूर्च्छित शरीर को रावी नदी में बहा देने का आदेश दिया और 30 मई 1606 को हुई थी । गुरु अर्जुन देव जी शहीदी दिवस को सिख समुदाय में प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत माना जाता है ।
ज्ञानी जी ने बताया अपना पूरा जीवन मानव सेवा को समर्पित करने वाले,गुरु अर्जुन देव ने वर्ष 1606 में अपनी शहादत से इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय रच दिया था गुरु अर्जुन देव जी की शहादत को ही गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है । यह सिख धर्म के लिए महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है । इस दिन को सिख समुदाय,बलिदान और आस्था का प्रतीक मानते हैं । इसके साथ ही यह दिवस गुरु अर्जुन देवजी के जीवन,शिक्षाओं और उनके बलिदान को याद करने का अवसर भी प्रदान करता है,शहीदी दिवस की तैयारी 40 दिन के सुखमनी साहिब के पाठ से हुई । जिसमें महिलाओ ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया ।
इसके उपरांत गुरु ग्रंथ साहिब का साप्ताहिक पाठ 23 मई को आरम्भ हुआ जिसकी समाप्ति आज हुई समाप्ति उपरांत कीर्तन व गुरु अर्जन देव जी की शहीदी के बारे में गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी जी ने बताया । इसके उपरांत चने और शर्बत (ठंडी छबील) का प्रसाद बाटा गया ।
कार्यक्रम शाम 04 बजे तक चला । यह सारा कार्यक्रम गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सेकेट्री परमजीत सिंह के अगुवाई में मनाया गया ।
इस कर्यक्रम में मुख्य रूप से नरिंदर सिंह रिक्की,सरदार संतोष सिंह ,जतिंदर पाल सिंह,जसवीर सिंह,परविंदर सिंह,उप प्रधान नरेंद्र सिंह ,गुरमीत सिंह उमंग,कोषाध्यक्ष सुरिंदर सिंह,वरिंदर सिंह पवि, सरन पाल सिंह शनि, जगमीत सिंह, हरमिंदर सिंह, अर्शित,वरिंदर सिंह, मंजीत सिंह व महिलाओं में हरजीत कौर,हरविंदर कौर,मंजीत कौर, हरमीत कौर,प्रभजीत कौर,जसप्रीत कौर,खुशी,सिमरन, वरिंदर कौर व बच्चो में वीर सिंह,मानस, एकज्योत आदि भक्त जन उपस्थित रहे ।