
वरिष्ठ पत्रकार : रवीन्द्र त्रिपाठी
फतेहपुर : निर्वाचन आयोग के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा चलाए गए मतदाता जागरूकता अभियान पूरी तरह फ्लाप दिखाई दिया । भले ही जिला प्रशासन ने मतदाताओं को बूथ तक ले जाने के लिए हर संभव प्रयास कर स्वीप कार्यक्रम (मतदाता जागरूकता) चलाएं हों लेकिन मतदान के दिन सारी की सारी प्रशासनिक कवायद धरी की धरी रह गई । बीएलओ से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों के स्तर तक जिस तरह से मतदाता सूची के बनाने के काम में उदासीनता व मनमानी बरती गई उसी का नतीजा रहा कि बड़ी तादाद में मतदाता सूची से लोगों के नाम गायब रहे ।नतीजतन मतदान की जिस आशा को लगाकर जिले के अधिकारी बैठे थे । उसके कहीं इर्द-गिर्द तक फटक नहीं पाए ।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में मतदान के 59.58 फीसदी के सापेक्ष महज 0.33फीसदी की ही मतदान में वृद्धि हो सकी । जिसको लेकर अधिकारी हतप्रभ हैं । अलबत्ता महिला मतदाताओं ने बूथ तक पहुंच कर स्वीप कार्यक्रम के जागरूकता अभियान की लाज बचाई ।
फतेहपुर जिले में जिला प्रशासन के लाख प्रयासों के बावजूद मतदान के प्रतिशत को नहीं बढ़ाया जा सका । मामूली से मतदान में हुई वृद्धि से जागरूकता कार्यक्रमों को बुरी तरह से पलीता लग गया ।
युवा मतदाताओं से लेकर महिला मतदाताओं को जागरूक करने का असर जरूर यह दिखाई पड़ा कि चुनाव में महिला मतदाता पुरुषों से आगे निकल गयीं । पुरुष मतदाताओं की सापेक्षा 4.73 फीसदी महिला मतदाताओं ने अधिक मतदान किया लेकिन जिले का मतदान केवल 0.33 फीसदी ही बढ़ सका । हुए विधान सभा चुनाव में कम मतदान हो सका ।इससे साफ जाहिर है कि मतदाता जागरूकता के कार्यक्रम भी कोई रंग नहीं दिखा पाए ।
बूथ तक मतदाताओं को ले जाने के जिला प्रशासन द्वारा हर संभव प्रयास किए गए । युवा,महिला तथा दिव्यांग मतदाताओं सहित आम मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित करने को गांव-गांव तक जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए तथा प्रशासनिक मशीनरी से लेकर स्वयंसेवी संगठनों एवं स्कूली छात्र छात्राओं ने भी रैली एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से प्रेरित करने का भरसक प्रयास किया लेकिन मतदान के प्रतिशत को नहीं बढाया जा सका ।
सवाल कुछ भी उठाए जा रहे हों लेकिन हकीकत यह है कि जिन मतदाताओं को प्रेरित कर बूथ तक ले जाने की तैयारी की गई थी । उनमें बड़ी संख्या में मतदाता ऐसे रहे । जिनके मतदाता सूची से नाम ही गायब रहे । यह अकेले शहरी क्षेत्रों की बात नहीं बल्कि पूरे के पूरे जिले में कोई भी ऐसा बूथ नहीं रहा जहां मतदाता सूची से नाम कटने की शिकायतें ना आईं हों इसी के चलते मतदान का प्रतिशत आगे नहीं बढ़ सका और प्रशासनिक सारी की सारी कवायद धरी की धरी रह गई कुछ संतोष करने वाली बात यह जरूर है कि अन्य जिलों में हुए मतदान में जिले को ठीक-ठाक ग्रेडिंग मिल गई । इसको लेकर जिले के अधिकारी ठंडी सांस ले रहे हैं लेकिन जिस तरह से जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा मतदान के प्रतिशत को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयत्न किए गए उसके बाद आपेक्षित परिणाम ना आना बड़े सवाल खड़ा कर रहा है ?
महिला मतदाताओं को ज्यादा संख्या में बूथ तक पहुंचाने में अलबत्ता प्रशासन को सफलता हांथ लगी है ।
जिले की सभी विधानसभाओं में महिला मतदाताओं ने पुरुषों की अपेक्षा बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया है । सभी छह विधानसभाओं में 57.72 फ़ीसदी पुरुष मतदाताओं ने मतदान किया तो 62.45 फ़ीसदी महिला मतदाता वोट डालने के लिए निकलीं लेकिन जिले का मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव 2017 से मामूली बढ़त ही हासिल कर सका और इसमें 0.33 फ़ीसदी मतदान प्रतिशत की हुई वृद्धि के बाद यहां मतदान 59.91 फ़ीसदी हुआ है । लाख प्रयासों के बावजूद आपेक्षित परिणाम मतदान प्रतिशत बढ़ाने को लेकर ना आने से जिम्मेदारी हतप्रभ हैं ।
लेकिन सवाल यह उठता है कि चुनाव-दर चुनाव मतदाता सूची से नाम गायब होने की मिलने वाली शिकायतों के बावजूद इन व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में आखिर जिम्मेदार कहां चूक कर जाते हैं ?