
लखनऊ : मेदांता सुपरस्पेशियालिटी हॉस्पिटल में स्पाइनल (मेरूदंड) टीबी की एक मरीज की टेढ़ी हड्डी का सफल आपरेशन कर उसे जीवनदान दिया गया । मेरूदंड में टीबी की वजह से बच्ची चल फिर पाने में पूरी तरह से असमर्थ हो चुकी थी । मेदांता हॉस्पिटल की स्पाइन सर्जरी की विशेषज्ञ टीम ने बच्ची की सफल सर्जरी की जिससे वह फिर से पहले की तरह चल फिर पाने में समर्थ है ।
अयोध्या की रहने वाली 14 वर्ष की बच्ची के स्पाइन में टीबी की समस्या थी । जिसकी वजह से उसकी पीठ में भीषण दर्द और बुखार रहता था जिससे वह चल फिर पाने में असमर्थ थी । लगभग छह माह से वह इस दिक्कत से जूझ रही थी । स्थानीय डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ । मेदांता हॉस्पिटल के स्पाइन सर्जन डॉ श्वेताभ वर्मा ने बताया कि लड़की पोस्ट ट्यूबरकुलर काइफोटिक विकृति से ग्रसित थी । यहां आने के केवल दो माह पूर्व उसकी टीबी की दवा शुरू हुई थी । समय से इलाज न होने से वो बिल्कुल बिस्तर पर आ गई थी और चलने फिरने में असमर्थ हो गई थी । डॉ श्वेताभ ने बताया कि पोस्ट ट्यूबरकुलर काइफोटिक विकृति की वजह से उसकी स्पाइन की एल-1 बोन टेढ़ी हो गई थी और उसमें मवाद भर गया था । लड़की की खून की जांच, एक्स-रे से पता चला कि उसे टीबी है । वहीं एमआरआइ में पता चला कि उसकी एल-1 बोन पूरी तरह से गल गई है। । जिसके बाद उसकी सर्जरी प्लान की गई ।
डॉ श्वेताभ ने बताया कि इस तरह की सर्जरी बेहद जोखिम होता है । जरा सी भी गलती से पैरों में पैरालिसिस होने का खतरा होता है । सर्जरी के दौरान मरीज के नसों का दबाव कम किया गया । खराब हड्डी को निकाल कर नई हड्डी और इम्प्लांट लगाए गए । सर्जरी में करीब पांच घंटे का समय लगा । नसों की सक्रियता को देखने के लिए बच्ची को आपरेशन के दौरान दो बार जगाने की कोशिश की गई जिससे पता चला कि उसकी नसें काम कर रहीं है । सर्जरी में लगभग 350 एमएल रक्त चढ़ा । सर्जरी के दूसरे दिन से ही बच्ची को चलाया गया । अभी वह पूरी तरह से स्वस्थ है, चलने फिरने में सक्षम है और ओपीडी में दिखाने आती है ।
डॉ श्वेताभ ने बताया कि बोन टीबी को लेकर लोगों में जागरूकता आ गई है । लेकिन अभी भी ग्रामीण इलाकों में लोग इसे लेकर सजग नहीं है जिसकी वजह से ये बीमारी हड्डियों को खराब करने लगती है । समय से टीबी का इलाज चलाकर इस बीमारी की गंभीरता को खत्म किया जा सकता है । कई मरीजों में ये नौबत आ जाती है कि हड्डियां सामान्य हड्डियों की तरह टेढ़ी हो जाती हैं और हाथ-पैरों में जान न होने की वजह से सर्जरी भी नहीं हो पाती है । इस मरीज के हाथ पैरों में ताकत थी जिससे उसकी सर्जरी ठीक तरह से हो गई ।