
रिपोर्ट – रवीन्द्र त्रिपाठी
फतेहपुर । हीट वेव से बचाव बहुत जरुरी है । प्यास न लगने पर पानी पीते रहें । हीटवेव से बचाव के लिए जिलाधिकारी ने श्रुति ने सभी विभागों के लोगों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है ।
यह जानकारी देते हुए अपर जिलाधिकारी (वि०/रा०) फतेहपुर श्री विनय कुमार पाठक ने बताया कि वर्तमान समय में पारा 45 डिग्री से अधिक होने के कारण भीषण गर्मी,गर्म हवा व लू के प्रकोप से बचाव हेतु सम्बन्धित विभागों को जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिये गये है कि इस भीषण गर्मी,गर्म हवा व लू से अपना बचाव कैसे करें सुरक्षित कैसे रहें । गर्म हवाओं से बचने के लिये खिड़की को रिफ्लेक्टर जैसे एलुमिनियम पन्नी, गत्ते इलादि से ढककर रखे,ताकि बाहर की गर्मी को अन्दर आने से रोका जा सके उन खिड़कियों व दरवाजों पर जिनसे दोपहर के समय गर्म हवाएं आती है,काले परदे लगाकर रखना चाहिए । स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को सुने और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सजग रहें । आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण ले । बच्चों तथा पालतू जानवरों को कभी भी बन्द वाहन में अकेला न छोड़े । जहाँ तक सम्भव हो घर में ही रहे तथा सूर्य के ताप से बचें सूर्य के ताप से बचने के लिये जहां तक सम्भव हो घर की निचली पर रहे । संतुलित, हल्का व नियमित भोजन करें और बासी खाने का प्रयोग कदापि न करें और मादक पदार्थों का सेवन न करें । घर से बाहर अपने शरीर सिर को कपड़े या टोपी से ढककर रखें । घर में पदार्थ जैसे लस्सी,छाछ,मठठा,बेल का शर्बत,नमक चीनी का घोल,नीमू पानी या आम का पना इत्यादि का प्रयोग करें ।
मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार मार्च से जून के मध्य अधिक तापमान रहने की संभावना है । ऐसे में लोगों को हिटवेव से बचाव के लिये आयवश्यक तैयारियां कर लेनी चाहिए । हीटवेव से बचाव को लेकर जनसामान्य के बीच जागरुकता अभियान स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाया जा रहा है । जब वातावरण का तापमाप 37 डिग्री सेल्सियस से 3-4 डिग्री अधिक पहुंच जाता है तो उसे हीटवेव या लू कहते हैं । अभी आगे गर्मी का प्रकोप और बढ़ेगा । इसलिए गर्मी से बचाव के लिए विभिन्न उपायों को अपनाना चाहिए ।
कब लगती है लू
गर्मी में शरीर के द्रव्य बाँड़ी फ्ल्यूड सूखने लगते हैं । शरीर में पानी,नमक की कमी होने पर लू लगने का खतना ज्यादा रहती है । शराब को लत,हृदय रोग,पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किसस रोग,अधिक उम्र,अनियंत्रित मधुमेह वाले व्यक्तियों को लू से विशेष बचाव करने की जरूरत है । इसके अलावा डॉययूरेटिक,एटीस्टिमिनक,मानसिक रोग की औषधि का उपयोग करने का व्यक्ति भी लू से सावधान रहे ।
लू के लक्षण
गर्म लाल शुष्क त्वथा का होना,पसीना आना,तेज पल्स होना ,उल्टे श्वास गती में तेजी,व्यवहार में परिवर्तन,भ्रम की स्थिति ,सिरदर्द मिचली ,थकान और कमजोरी का होना या चक्कर आना,मूत्र न होना अथवा इसमें कमी आदि मुख्य लक्षण है । इन लक्षणों के चलते मनुष्यों के शरीर के उच्च तापमान से आंतरिक अंगों,विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है । इससे शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न हो जाता है ।
जनपद में हीटवेव (लू) के प्रति जोखिम (कमजोर वर्ग एवं क्षेत्र की पहचान)
– 05 वर्ष से कम आयु के बच्चे व 65 वर्ष से ज्यादा के व्यक्ति ।
– गर्भवती महिलाएं ।
– ऐसे व्यक्ति जोकी सैन्य, कृषि, निर्माण और औद्योगिक व्यवसाय में श्रमिक मजदूर खिलाडी आदि हो ।
– शारीरिक तौर पर कमजोर व्यक्ति एवं मोटापे से ग्रसित व्यक्ति ।
– त्वचा सम्बन्धित रोग जैसे- सोरायसिस ,पायोडर्मा आदि से प्रभावित व्यक्ति ।
– पर्यावरण बदलने के कारण गर्मी के अनुकूलनता का आभाव ।
– सोने का आभाव ।
आपदा सम्बन्धी सहायता के लिए निम्न नम्बरों पर सम्पर्क कर सकते हैं –
– एम्बुलेस 108 ।
– पुलिस 112 ।
– राहत आयुक्त कार्यालय 1070 टोल फ्री ।
– जिला इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर फतेहपुर कन्ट्रोल- 05180-228632
गर्म हवाएं लू की स्थिति में क्या करें और क्या न करें –
– सभी के लिए चाहिए कि रेडियो सुनिए,टीवी देखिए,स्थानीय – मौसम समाचार के लिए समाचार पत्र पढ़े ।
– पर्याप्त पानी पिये-भले ही प्यास न लगे ।
– खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओ0आर0एस0, लस्सी, तोरानी (चावल का पानी) नीबू का पानी,छाछ आदि जैसे पेय का इस्तेमाल करें ।
– हल्के वजन,हल्के रंग के ढीले,सूती कपड़े पहने ।
– अपने सिर में कपड़े टोपी,गमछा या छतरी का उपयोग करें ।
– हाथों को साबुन और पानी से बार-बार धोए ।
– अनावश्यक घर से बाहर पूर्वान्ह 11.00 बजे से अपरान्ह 4.00 बजे तक न निकले बहुत होने पर चेहरे व सिर को ढककर ही निकले ।
नियोक्ता और श्रमिक
– कार्य स्थल के पास ठंडा पेयजल उपलब्ध कराये ।
– कार्यकर्ताओं को सीधे धूप से बचने को कहे ।
– अति पारिश्रमिक वाले कार्यों को दिन के ठन्डे समय में निर्धारित करें ।
– बाहरी गतिविधियों के लिए ब्रेक की आवृत्ति करें ।
– गर्भवती महिला श्रमिकों और श्रमिकों जिन्हें चिकित्सा देखभाल की अचानक जरूरत हो सकते हो उनका अतिरिक्त ध्यान दिया जाना चाहिए ।
वृद्ध एवं कमजोर व्यक्तियों के लिए
– तेज गर्मी,खासतौर से जब वे अकेले हो तो कम से कम दिन में दो बार उनकी जाँच करें ।
– ध्यान रहे कि उनके पास फोन हो ।
– यदि वे गर्मी बेचैनी महसूस कर रहे हो तो उन्हें ठंडक देने का प्रयास करें ।
– उनके शरीर को गीला रखें,उन्हें नहलाएं अथवा उनकी गर्दन तथा बगलों में गीला तौलिया रखें ।
– उन्हें अपने पास हमेशा पानी की बोतल रखने के लिए कहें ।
शिशुओं के लिए
– उन्हें पर्याप्त मात्रा ने पानी पिलाएं ।
– शिशुओं में गर्मी की वजह से होने वाली बीमारियों का पता लगाना सीखे ।
– यदि बच्चों के पेशाब का रंग गहरा है तो इसका मतलब है कि वह डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) का शिकार है ।
– बच्चों को बिना देखरेख खड़ी गाड़ी में छोड़कर न जाए,वाहन जल्दी गर्म होकर खतरनाक तापमान पैदा कर सकते है ।
पशुओं के लिए
– जहां तक संभव हो,तेजी गर्मी के दौरान उन्हें घर के भीतर रखें ।
– यदि उन्हें घर के भीतर रखा जाना संभव न हो तो उन्हें किसी छायादार स्थान में रखे जाये आराम कर सके ।
– ध्यान रखें कि जहां उन्हें रखा गया वहां दिनभर छाया रहे ।
– जानवरों को किसी भी बंद स्थान में न रखें क्योंकि गर्म मौसम में इन्हें जल्दी गर्मी लगने लगती है ।
– ध्यान रखे कि आपके जानवर पूरी तरह साफ हो उन्हें ताजा पीने का पानी दे,पानी को धूप में न रखें दिन के समय उनके पानी में बर्फ के टुकड़े डालें ।
– पीने के पानी के दो बाउल रखी ताकि एक में पानी खत्म होने पर दूसरे से पानी पी सकें ।
– अपने पालतू जानवर का खाना धूप में न रखें ।
– किसी भी स्थिति में पालतू जानवर को वाहन छोड़े ।
अन्य सावधानियां
– जितना हो सके घर के अन्दर रहे ।
– अपने घर को ठंडा रखें पर्दे शटर या धूप का उपयोग करें और खिड़कियां खुली रखें ।
– निचली मंजिल पर रहने का प्रयास करें ।
– पखे का प्रयोग करे,कपडों को नम करें और पानी में स्नान करें ।
– यदि आप बेहोश या कमजोरी महसूस करते है तो तुरतु डॉक्टर से सम्पर्क करें ।
– जानवरो को छाया में रखे और उन्हें पीने के लिए भरपूर पानी दें ।