
श्रावस्ती । टिकटॉक से हुई दोस्ती के बाद तीन बच्चों की मां अपने बच्चों के साथ बांग्लादेश से प्रेमी के घर भरथा रोशनगढ़ पहुंच गई । प्रेमी की पत्नी और परिवार के विरोध के बाद मामला थाने पहुंचा । थाने में बातचीत के बाद प्रेमिका अपने बच्चों साथ वापस लौट गई ।
बांग्लादेश के जिला व थाना राउजन चटगांव की दिलरुबा शर्मी के पति शैफुद्दीन की कोरोना काल में मृत्यु हो गई थी । श्रावस्ती जिले के मल्हीपुर थाना क्षेत्र के भरथा रोशनगढ़ का अब्दुल करीम पुत्र मोहम्मद अमीम बुहरान एक बेकरी में काम करता था । अब्दुल का टिकटॉक के जरिए दिलरुबा शर्मा से संपर्क हुआ । अब्दुल ने खुद को अविवाहित बताते हुए दिलरुबा से दोस्ती बढ़ाई । धीरे-धीरे यह दोस्ती प्यार में बदल गई । दोनों साथ रहने का वादा भी करने लगे ।
इसके बाद दिलरुबा शर्मी टूरिस्ट वीजा पर अपनी 15 वर्षीय बेटी संजीदा,12 वर्षीय मोहम्मद साकिब और 7 वर्षीय मोहम्मद रकीब को लेकर 26 सितंबर को कलकत्ता पहुंची । कलकत्ता से लखनऊ पहुंची । दिलरुबा लखनऊ से बहराइच आकर दो दिन किसी होटल में रुकी । शुक्रवार को दिलरुबा भरथा रोशनगढ़ पहुंच गई । दिलरुबा की कहानी सुनकर अब्दुल की पत्नी शकीला बानो और आठ वर्षीय बेटा मोहम्मद शादाब ने न सिर्फ इसका विरोध किया बल्कि इसकी सूचना जोखवा बाजार अपने मायके वालों को भी दे दी । इसके बाद पूरा मामला एसएसबी और मल्हीपुर पुलिस तक पहुंचा । पुलिस ने दिलरुबा और उसके बच्चों के वीजे की जांचा पड़ताल की तो वैध निकला ।
पुलिस की पूछताछ में दिलरुबा ने बताया कि उसे नहीं पता था कि अब्दुल करीम शदीशुदा व झूठा है । ऐसे इंसान के साथ वह अपने बच्चों संग रह कर जीवन बर्बाद नहीं करेगी । इसके बाद दिलरुबा बच्चों के साथ लखनऊ चली गई । इस बारे में थानाध्यक्ष मल्हीपुर धर्मेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि महिला बच्चो को लेकर ट्रेवल एजेंट के साथ लखनऊ गई है । जहां से टिकट कंफर्म होते ही वह वापस बांग्लादेश चली जाएगी ।