
बिन्दकी/फतेहपुर । कृष्ण योगेश्वर हैं, निर्मुक्त भाव से भागेश्वर भी हैं, अर्जुन और सुदामा दोनों उनके मित्र हैं । अर्जुन से वह युद्ध करने की बात कहते हैं और सुदामा से भक्ति की, अर्थात जिसकी जो योग्यता जिस क्षेत्र में हो उस क्षेत्र का वह कर्मयोगी बने ।
मतलब साफ है इस सत्ता के संघर्ष से बाहर आने और विनम्र होने के लिए हमें कृष्ण के साथ एक प्रेम पूर्ण संबंध अर्थात भक्ति विकसित करने की आवश्यकता है । क्योंकि केवल दीन और विनम्र ही भगवान की कृपा प्राप्त करते हैं । उक्त विचार बैलाही बाजार स्थित मूला देवी पार्क मे चल रही श्रीमदभागवत कथा के विश्राम दिवस पर वृंदावन से आये आचार्य विष्णु गोस्वामी जी महाराज ने कहीं । कृष्ण सुदामा प्रसंग सुन श्रोता भाव विभोर हो गए ।
आचार्य ने कहा युवाओं को कृष्ण सुदामा मित्रता से सीख लेना चाहिए । आचार्य ने कहा युवाओं के प्रेरणास्रोत है श्रीकृष्ण के संदेश । कथा समापन पर फूलों की होली खेली गई । भक्तिभाव से झूमते हुए संगीतमय भजनों मे श्रद्धालु थिरकने लगे ।
इस मौके पर श्री बालाजी सेवा न्यास के अध्यक्ष लक्ष्मी चंद्र ओमर मोना,आलोक गौड़, दयालू गुप्ता, संजय गुप्ता, अंशुल गुप्ता, राघव आदि रहे ।
आयोजकों ने बताया सोमवार को पूर्णाहुति के बाद भंडारा मे प्रसाद वितरित किया जायेगा ।