
सतना । मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ के कर्मचारी खाद की कालाबाजारी कर रहे हैं । इस मामले में विभागीय अधिकारी भी खामोश हैं । मामला मैहर के देराजनगर का है । राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित मध्य प्रदेश के देराजनगर में कंप्यूटर ऑपरेटर की भूमिका पर किसान सवाल उठा रहे हैं । पीओएस मशीन से स्लिप इसी ऑपरेटर द्वारा निकाली जाती है । जो बाद में पर्ची के पीछे किसानों को देने वाली मात्रा दर्ज कर देता है । इसके बाद स्टॉक से उतनी मात्रा ही किसान को दी जाती है, जितनी पर्ची के पीछे दर्ज होती है ।
इसलिए कालाबाजारी का शक : इस मामले में कंप्यूटर आपरेटर का कहना है कि अगर किसी किसान का फिंगर नही लगता तो हम अधिक निकाली हुई खाद उसे दे देते हैं । अब सवाल यह है कि जब बिना फिंगर लगाए खाद देना ही नहीं है तो निकाली हुई खाद की कहीं कालाबाजारी तो नहीं की जा रही ।
पहले मामले के अनुसार रामनगर के देवदहा निवासी ब्रजलाल सिंह वैस के नाम पर यूरिया की पर्ची काटी गई । पीओएस मशीन में 20 बोरी दर्ज की गईं । जिसका रेट 5330 रुपए हुआ । वहीं इसी पर्ची में तीन बोरी यूरिया हाथ से लिखकर दिया गया । इस पर्ची में दर्ज 17 बोरी यूरिया कहां गईं ? किन किसानों के नाम पर इसका एडजेस्टमेंट किया गया. क्या ऑपरेटर किसी प्राइवेट दुकान से मिलीभगत कर यह खेल-खेल रहा है ।
कहां गई 12 बोरी खाद : दूसरे मामले के अनुसार गोरहाई के किसान भी देवराजनगर के विपणन संघ खाद लेने पहुंचे । उन्हें भी तीन बोरी खाद की जरूरत थी । उनके नाम पर 15 बोरी खाद की पर्ची निकाली गई । पर्ची के पीछे तीन बोरी हाथ से लिखी कई । इनकी 12 बोरी खाद कहां चली गई ? किस किसान का फिंगर नहीं मिला । इसके बारे में कोई भी जानकारी न तो विभाग के अधिकारी को है और न ही किसी अन्य को । इसी प्रकार गैलहरी के किसान रमाकांत पटेल भी खाद लेने के लिए पहुंचे । इनके नाम पर भी 15 बोरी यूरिया की पर्ची निकाली गईं । जबकि उन्हें खाद मात्र तीन बोरी दी गई ।
अब जांच कराने की बात : वहीं, देराजनगर के ऑपरेटर आनंद बहोर द्विवेदी ने दावा किया कि वे फिंगर मिलान नहीं होने वाले किसानों की सहूलियत के लिए ऐसा करते हैं । वहीं, एसएडीईओ विष्णु त्रिपाठी का कहना है कि पीओएस मशीन से ही खाद का दिए जाने का निर्देश है । पेन से लिखना पूरी तरह से अनुचित है । अगर, ऐसा हो रहा है तो इस मामले की जांच कराई जाएगी ।