चीन ने अमेरिका,ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए ऐतिहासिक सुरक्षा समझौते ऑकस की आलोचना करते हुए इसे बेहद ग़ैर ज़िम्मेदाराना बताया है ।
चीन ने कहा है कि यह छोटी सोच का उदाहरण है ।
चीन ने अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए रक्षा समझौते की निंदा करते हुए कहा कि ये शीत युद्ध की मानसिकता को दर्शाता है ।
इससे पहले ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने एक विशेष सुरक्षा समझौते की घोषणा की थी । इस समझौते के तहत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया को न्यूक्लियर पन्नडुबी की तकनीक भी मुहैया करवाएगा ।
जानकारों का मानना है कि इस नए सुरक्षा समझौते को एशिया पैसेफ़िक क्षेत्र में चीन के प्रभाव से मुक़ाबला करने के लिए बनाया गया है ।
यह क्षेत्र वर्षों से विवाद का कारण है और वहां तनाव बना हुआ है ।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि “इन्हीं वजहों से हथियारों के अंतरराष्ट्रीय प्रसार को रोकने के प्रयासों को धक्का लगता है ।”
उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए इस नए रक्षा समझौते की निंदा करते हुए कहा कि ये शीत युद्ध की मानसिकता को दर्शाता है ।
चीनी की सरकारी मीडिया ने इस समझौते की निंदा करते हुए लेख प्रकाशित किये हैं ।
ग्लोबल टाइम्स अख़बार के लेख में कहा गया है इस समझौते के साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने ख़ुद को चीन का विरोधी बना लिया है ।
50 सालों में यह पहली बार है जब अमेरिका अपनी पनडुब्बी तकनीक किसी देश से साझा कर रहा है ।
इससे पहले अमेरिका ने केवल ब्रिटेन के साथ यह तकनीक साझा की थी ।
इसका मतलब यह है कि ऑस्ट्रेलिया अब परमाणु-संचालित पनडुब्बियों का निर्माण करने में सक्षम होगा जोकि पारंपरिक रूप से संचालित पनडुब्बियों के बेड़े की तुलना में कहीं अधिक तेज़ और मारक होंगी ।
ये ख़ास पनडुब्बियां महीनों तक पानी के भीतर रह सकती हैं और लंबी दूरी तक मिसाइल दाग सकती हैं ।
इससे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने एक संयुक्त वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘ऑकस’ समझौते की जानकारी दी ।
हालांकि इस दौरान किसी ने भी सीधे तौर पर चीन का उल्लेख नहीं किया था लेकिन तीनों नेताओं ने बार-बार क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताओं का ज़िक्र ज़रूर किया था ।
ऑकस सुरक्षा समझौते पर एक संयुक्त बयान जारी कर कहा गया, “ऑकस के तहत पहली पहल के रूप में हम रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के लिए परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ।”
अमेरिका की ऑस्ट्रेलिया के साथ परमाणु पन्नडुबी ख़रीदने की डील पर फ़्रांस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है । दरअसल ऑस्ट्रेलिया पहले यही परमाणु पन्नडुबियां, फ़्रांस से ख़रीदने वाला था ।
फ्रांस के विदेश मंत्री ज़ॉ ईव ले ड्रियां ने इसे “पीठ में छुरा घोंपना” बताया है ।
फ्रांस ने पांच साल पहले पारंपरिक रूप से संचालित 12 पनडुब्बियों को ऑस्ट्रेलिया को बेचने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे ।
ये सौदा 56 बिलियन यूरो का था । लेकिन फिर ख़बर आई कि यूके-अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया एक रणनीतिक साझेदारी की डील कर रहे हैं ।