– कैबिनेट ने एनपीएस के साथ यूनीफाइड पेंशन स्कीम लागू करने का फैसला किया
– 25 वर्ष सेवा देने वाले कर्मियों को 50 फीसद सुनिश्चित पेंशन मिलेगा
– परिवार को सुनिश्चित पेंशन का 60 फीसद हिस्सा बतौर पेंशन मिलेगा
नई दिल्ली । हाल के चुनावों में विपक्ष की तरफ से नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) की जगह पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लागू करने को मुद्दा बनाने के दांव का केंद्र सरकार ने काट खोज निकाला है । केंद्र सरकार के 23 लाख कर्मचारियों के लिए सरकार ने यूनीफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) लागू करने का फैसला किया है ।जो मौजूदा एनपीएस के साथ ही लागू रहेगा ।
कर्मचारियों को मिलेगी सुनिश्चित राशि
यूपीएस के तहत कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन,परिवार को पेंशन, सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन, पेंशन की राशि की महंगाई दर के साथ जोड़ने और सेवानिवृत्ति के समय ग्रेच्यूटी के अलावा भी एक सुनिश्चित राशि के भुगतान की व्यवस्था की गई है ।
पुरानी पेंशन स्कीम से कितना है अलग ?
एक तरह से यह पुरानी पेंशन स्कीम की तरह ही होगी,लेकिन अंतर सिर्फ इतना होगा कि ओपीएस में जहां कर्मचारियों को योगदान नहीं देना होता था । यूपीएस में एनपीएस की तर्ज पर ही 10 प्रतिशत योगदान देना होगा । यूपीएस के लिए कर्मचारियों को कोई भी अतिरिक्त योगदान नहीं देना होगा । जबकि केंद्र सरकार की तरफ से पेंशन फंड में योगदान मौजूदा 14 फीसद से बढ़ा कर 18.5 फीसद कर दिया गया है । जो साल दर साल महंगाई दर आदि के कारण बढ़ता रहेगा ।
✓ ओपीएस के रूप में अब सुनिश्चित पेंशन के लिए यूपीएस ।
✓ पेंशन की न्यूनतम राशि 10 हजार रुपये सुनिश्चित ।
✓ ग्रेच्यूटी के अलावा छह माह का वेतन भी एकमुश्त सेवानिवृत्ति पर मिलेगा ।
✓ कर्मचारियों पर कोई बोझ नहीं, सरकार ने अपना योगदान बढ़ा कर 18 फीसद किया ।
✓ पहले वर्ष में सरकार पर 6250 करोड़ रुपये का बोझ ।
✓ एनपीएस के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को यूपीएस स्वीकार करने का विकल्प ।
✓ राज्य केंद्र सरकार के माडल को कर सकते हैं स्वीकार ।
99 फीसद से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को यूपीएस स्वीकार करने में फायदा : वैष्णव
केंद्र पर पड़ेगा अतिरिक्त बोझ
इससे केंद्र पर वर्ष 2025-26 के दौरान ही 6250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा । चुनावी माहौल में इसे सरकार की ओर से बड़ा राजनीतिक मोहरा भी माना जा रहा है ।
यूक्रेन से यात्रा के बाद शनिवार दोपहर नई दिल्ली पहुंचे पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक देर शाम को हुई जिसमें यूनीफाइड पेंशन स्कीम के बारे में फैसला किया गया ।
कब से किया जाएगा लागू ?
सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 01 अप्रैल, 2025 से लागू होगी । इससे सीधे तौर पर 23 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों को फायदा होगा ।
क्योंकि सरकार का आकलन है कि अभी कार्यरत 99 फीसद से ज्यादा केंद्रीयकर्मियों के लिए एनपीएस से ज्यादा यूपीएस आर्थिक तौर पर फायदेमंद होगा । एनपीएस वर्ष 2004 से लागू है और तब से अभी तक जितने सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्ति हुए हैं उनको यूपीएस के तहत पेंशन सुविधा लेने का विकल्प मिलेगा अगर कर्मचारी ऐसा करते हैं तो उन्हें जो अतिरिक्त राशि व उसका ब्याज बनेगा,उसका भुगतान केंद्र से होगा । ऐसे कर्मचारियों को केंद्र को 800 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा ।
क्या राज्य सरकारें भी करेंगी लागू ?
वैष्णव ने बताया कि अगर राज्य सरकारें चाहें तो इसी आधार पर अपने कर्मचारियों के लिए भी पेंशन स्कीम लागू कर सकती हैं । ऐसा होता है तो देश भर में 90 लाख राज्य सरकारों के कर्मचारियों को भी फायदा हो सकता है । स्पष्ट है कि चुनाव में मुद्दा बने रहे विपक्षी दलों पर अब यह जिम्मेदारी आएगी कि वह भी अपने राज्यों में तत्काल प्रभाव से इसे लागू करने की घोषणा करे । हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनाव की घोषणा हो चुकी है और अगले एक दो महीने में महाराष्ट्र और झारखंड में भी घोषणा होनी है । ऐसे में राजनीतिक दलों पर यह दबाव रहेगा कि वह अपने मेनिफेस्टो में राज्य में इसे लागू करने की घोषणा करे ।
इस स्कीम का सबसे पहला तथ्य यह है कि इसमें कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन मिलेगा, जबकि एनपीएस में बाजार में निवेशित राशि के हिसाब से पेंशन राशि मिलने की व्यवस्था है ।
यूपीएस का फार्मूला यह है कि अगर कर्मचारी ने 25 वर्षों की सेवा दी है तो उसके अंतिम कार्य-वर्ष के 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 फीसद राशि बतौर पेंशन दी जाएगी अगर सेवा काल 10 से 25 वर्षों का है तो पेंशन की राशि समानुपातिक आवंटन के आधार पर तय होगी ।
यूपीएस का दूसरा अहम पहलू यह है कि सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके आश्रित (पति या पत्नी) को पेंशन राशि का 60 फीसदी सुनिश्चत पारिवारिक पेंशन के तौर पर दी जाएगी ।
तीसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कर्मचारी का कार्य-वर्ष चाहे जितना भी हो उनकी पेंशन की न्यूनतम राशि 10 हजार रुपये से कम नहीं होगी ।
वैष्णव का कहना है कि आज की तारीख में जो न्यूनतम वेतन है उसके आधार पर न्यूनतम पेंशन की राशि 15 हजार रुपये बनती है ।
चौथा पहलू, पेंशन की राशि जो महंगाई के सूचकांक से जोड़ा गया है । यानी खुदरा महंगाई दर बढ़ेगी तो पेंशन की राशि भी बढ़ेगी । महंगाई भत्ता के आधार पर पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन तीनों का निर्धारण होगा ।
पांचवा पहलू,सेवा में संपन्न हर छह माह के लिए मूल वेतन का 10 फीसद राशि एकमुश्त मिलेगी जो ग्रेच्यूटी के अलावा होगी ।
सूचना व प्रसारण मंत्री के मुताबिक मोटे तौर पर 30 वर्ष की सेवा के लिए एक कर्मचारी को छह माह का वेतन अलग से सेवानिवृत्त होने पर मिलेगा ।
समिति ने तैयार की थी विस्तृत रिपोर्ट
केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 में पूर्व वित्त सचिव टीवी स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था ताकि एनपीए की समीक्षा की जा सके । इस समिति ने केंद्रीय कर्मचारियों के संघों व दूसरे प्रतिनिधियों, राज्य सरकारों,आरबीआई, विश्व बैंक, राजनीतिक दलों समेत दूसरे श्रम संगठनों के साथ विस्तार से विमर्श के बाद एक रिपोर्ट तैयार की थी ।
वैष्णव ने कांग्रेस पर साधा निशाना
वैष्णव ने इसकी घोषणा के साथ ही कांग्रेस पर निशाना लगाया कि उनकी हिमाचल प्रदेश व राजस्थान की सरकारों ने एनपीएस की जगह ओपीसी लागू करने का ऐलान जरूर किया था । लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है,जबकि पीएम मोदी ने पेंशन के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इस पर समिति गठित की और अब नई योजना को लागू करने का फैसला किया है । उन्होंने साफ किया कि इस नई स्कीम के लिए केंद्रीय कर्मचारियों पर कोई बोझ नहीं डाला जाएगा ।
ओपीएस जहां बगैर किसी वित्तीय योगदान की सुनिश्चित भुगतान योजना थी । वहीं यूपीएस के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए केंद्र का योगदान बढ़ा दिया गया है । पहले यह योगदान की राशि 10 फीसद थी जिसे वर्ष 2019 में मोदी सरकार ने बढ़ा कर 14 फीसद किया था । अब 18.5 फीसद करने का फैसला किया गया है ।