
रवीन्द्र त्रिपाठी की ग्राउंड रिपोर्ट
फतेहपुर । प्रधानमंत्री आवास मिलने की आस में कइयों गरीबों की आंखे पथरा गई । सर्दी,गर्मी और बारिश के दिनों में कच्चे मकान की छत,टीन शेड,छप्पर,और प्लास्टिक की झोपडी में जीवन बसर कर रहे है । जिन लाभार्थियों का आवास चयन सूची में नाम चयनित है । उन्हें सालों साल इंजार करन के बाद भी धनराशि आवंटित नहीं की गई । जिससे वह निरास होकर बैठ गये है और अधिकारी की कार्यप्रणाली पर आक्रोश व्यक्त करते नजर आने लगे ।
कईयों गरीबों को आवास योजना में शामिल तक नहीं किया गया । जबकि वें झोपडी के बनायें हुए आशियानें में गुजर बसर करते है । जब वंचितों से वजह पूछी गई तो वह कहते ग्राम प्रधान हमसे कहते हमे वोट थोडे दिये हो । इस तरह की मानसिकता रखने वाले ग्राम प्रधान से गरीब लाभार्थियों को न्याय की उम्मीद नहीं दिखाई देती है ।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत देश के ग्रामीण और शहरी इलाके के गरीब परिवार,झुग्गी बस्तियों व सड़क किनारे रहकर अपना गुजर बसर कर रहे हैं । आर्थिक स्थिति के कारण अपना गुजर-बसर नहीं कर पा रहे ऐसे देश के चार करोड नागरिकों को पक्के मकान बना कर सरकार देखी ।
वहीं जितने भी कमजोर व मीडिल क्लास के नागरिक हैं उन्हें कम ब्याज पर लोन उपलब्ध कराएगी । जिससे आवास का निर्माण करा सकें । प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत 25 जून 2015 को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी । उत्तर प्रदेश में 5.51 लाख गरीबों के आवास बनाने की योजना है ।
आवास योजना लाभ की हकीकत को जमीन पर देखा गया तो कईयों परिवार अभी ऐसे भी है जो ठंड,गर्मी और अब बरसात में बिना छत के जिंदगी गुजार रहे हैं ।
इस महात्वाकांक्षी योजना के तहत 2022 तक सभी गरीबों को पीएम आवास का लाभ देना है । आवास योजना की सूची भी जारी कर दी गई । लेकिन अभी कईयों गरीब परिवार पीएम आवास योजना से वंचित है । इनके बीच कोई अधिकारी और कर्मचारी नहीं पहुंचे ।
प्रधानमंत्री आवास योजना कागजों में सिमटी है । पक्की छत की आस में गरीब सरकार की ओर निहार रहे है । वहीं अपात्रों को बड़ी संख्या में लाभान्वित किया गया ।
ऐसा क्यो हुआ ?
यह जांच का विषय है कि पात्रों को वंचित करके अपात्रों को लाभान्वित कराया गया है ।
चलने में मोहताज दिव्यांग राकेश शुक्ला निवासी बकेवर बुजुर्ग ने बताया कि करीब 30 सालों से वह आवास विहीन है और दूसरों की शरण में जिंदगी गुजार रहा है ।
ट्राई साइकिल के सहारे से चलने वाले राकेश शुक्ला ने बताया कि कुछ दिनों के लिए पंचायत घर में आश्रय दिया गया था किंतु एक पूर्व प्रधान ने वहां से भी उसे निष्कासित कर दिया । जिससे वह स्थानीय एक शिक्षक के रहमोंकरम पर अपनी जिंदगी गुजार रहा है । कई बार आने जाने वाले प्रधानों से आवास की गुहार लगाई थी किंतु किसी ने गरीब होने के नाते सुनवाई नहीं की है । मुझे मात्र सरकार से मिलने वाली दिव्यांग पेंशन से किसी तरह जीवन यापन करना पड़ रहा है । आज जिस मकान में रह रहा हूं वह शिक्षक के जानवर बांधने का कमरा है जो बरसात में पूरी तरह से टपक रहा है और उसकी कच्ची छत की मिट्टी गिरने से हमेशा जान का खतरा बना रहता हुआ है । जिसकी वजह से रात में दूसरे के घर में जाकर सोना पड़ता है ।
विकास खंड देवमई के गांव गंगरावल हरदासपुर निवासी बाबूलाल कुशवाहा ने बताया कि उसके पास कच्ची मडैया के अलावा कोई आवास नहीं है । जिससे वह सर्दी,गर्मी और बारिस के दिनों में सुकून की जिंदगी गुजार सके । वह अपने खेतों के पास कच्ची मडैया बनाकर रह रहा है । उसके चार बच्चे हैं । सहित एक दर्जन लोगों का परिवार है । उसकी पत्नी की तीन माह पहले मौत हो गई थी । उसके पास मात्र पौने दो बीघा खेती है । खेती के साथ दो पाली है । जिनका दूध बेचकर परिवार का पालन पोषण कर रहा है । उसे पानी भी आसानी से सुलभ नहीं है करीब आधा किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है ।
बाबू लाल का कहना है कि आवास और हैंड पाइप के लिए जब भी ग्राम प्रधान से कहा तो उसने जवाब दिया जिसको वोट दिया है उसी से कालोनी और हैंडपंप ले लो ।
बाबूलाल का यह भी कहना है कि स्वच्छता अभियान के तहत दिए जाने वाला शौचालय भी मुहैया नहीं कराया गया है । जिससे शौच के लिए खुले जंगल में जाना पड़ता है । बाबूलाल 60 साल पार कर चुके,उन्हें वृद्धावस्था अवस्था पेंशन का लाभ भी नहीं दिया गया है ।
प्रधान ने वोट ना देने की वजह से सभी योजनाओं से मुझे दूर रखा है । इनके बेटे मोहन को उज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर मिला था किन्तु पैसों के अभाव में खाली पड़ा है और पूरे परिवार का खाना लकड़ी से चूल्हे में बनाना पड़ता है ।
ग्राम पंचायत रसूलपुर बकेवर निवासी मोबिन शाह (35) करीब दस सालों से एक पॉलीथिन का टेंट लगाकर परिजनों के साथ रहते है । उनके आधा दर्जन बच्चे है । गर्मी,सर्दी और बारिश के दिनों में पालीथीन के टेंट में गुजर बसर करते है । बताया बारिस के दिनों में उसके निवास स्थान पर पानी भर जाता है । जिससे भोजन किस तरह बने लाले पड़ जाते । उसके पास शौचालय भी नहीं है । जिससे बारिश के दिनों में पानी भरे रास्ते से महिला व पुरुष और बच्चों को गांव से दूर जाना पड़ता है । ऐसी अवस्था में छोटे बच्चों के लिए खतरा बना है । बताया कि उसके पास खेती भी नहीं है सिर्फ राजमिस्त्री करके काम चलाना पड़ रहा है । बारिश के दिनों में काम न मिलने से इनका परिवार तंग हाली से गुजर रहा है ।
इसी के बगल में साजन पत्नी सुबीना का आशियाना तंबू और टीन शेड के कमरे में है । पति ट्रक चालक है । इनके दो बच्चे है । मेहनत मजदूरी करके परिवार का खर्च चलता है । महिला साजन ने बताया कि उसे स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय का लाभ ग्राम प्रधान द्वारा नहीं दिया गया है । जिससे इस परिवार को भी खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है । इन्होंने प्रधानमंत्री आवास मिलने की उम्मीद ही छोड दी । ये कहती कि ग्राम प्रधान और सिक्रेट्री से आवास और शौचालय दिलाये जाने की मांग की किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया । ये परिवार आर्थिक कमजोरी के चलते अपनी समस्या को आलाधिकरी तक पहुंचाने में असहज महसूस करता है ।
जगदीशपुर निवासी मनोज सविता का भी मकान कच्चा है । वह छप्पर में प्लास्टिक डालकर बारिश से बचने का इंतजाम किया है ।
मनोज ने बताया कि उसके परिवार में 5 बच्चे हैं जिसमें तीन बेटी और दो बेटे हैं । एक बेटी की शादी कर चुका है, अभी दो बेटियों की शादी करनी है । उसके पास मात्र डेढ़ बीघा जमीन है । जिससे परिवार को रोटी कपड़ा मुहैया कराने में भी दिक्कत हो रही है । खुद से आवास बनाने की बात तो दूर रही ।
मनोज ने बताया कि करीब तीन साल पहले जो आवास सूची बनी थी । उसमें उसका नाम था लेकिन आज तक आवास बनाने के लिए पैसा उपलब्ध नहीं कराया गया है ।
कहा कि अब कॉलोनी मिलने की आस भी खत्म हो गई है । उसके पड़ोस में रहने वाले सुरेंद्र दीवारों पर टीनशेड डालकर निवास कर रहा है । उसका भी नाम आवास चयनित सूची में दर्ज किया गया था । किन्तु आज तक आवास की धनराशि नहीं मिला है ।
आवास से वंचित है पात्र –
सरकार द्वारा गरीब पात्रता सूची में आने वाले गरीब लोगों को आवास उपलब्ध कराने का समय-समय पर ढिंढोरा पीटा जा रहा है किंतु धरातल में तमाम ऐसे गरीब पात्र लोग हैं जिन्हें आज भी छत मुहैया नहीं है या यूं कहें की उनकी पहुंच ग्राम प्रधान,पंचायत सचिव,खंड विकास अधिकारी या उच्च अधिकारियों के पास तक नहीं है । वहीं ग्राम प्रधान अपने पराए की पहचान करके अपात्रों को भी आवास उपलब्ध उपलब्ध करा देते है और गरीब आज भी गरीबी से उबर नहीं पा रहा है ना ही उसे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है ।
बता दें जनपद का कोई ऐसा गांव नहीं है । जहां बदहाली का जीवन जी रहे लोगों के पास अवास नहीं है ।
ओडीएफ घोषित फिर भी शौचलय से वंचित है लोग –
केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान के तरह सभी परिवारों को शौचालय उपलब्ध कराना था । फतेहपुर जिले को ओडीएफ भी घोषित किया जा चुका है ।किंतु इसके विपरीत आज भी जनपद के लगभग सभी गांव में काफी तादाद में लोग शौचालय विहीन हैं और जंगल में शौच के लिए जाने के लिए मजबूर है । इसके उदाहरण में एक ही गांव पर्याप्त है ये गांव है विकास खंड देवमई का रसूलपुर बकेवर जहां आज भी दो दर्जन से ज्यादा लोगों को शौचालय न मिलने से जंगल में जाकर सोच क्रिया करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है ।
सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा हर ग्राम पंचायत में जाकर शौचालयों की टैगिंग की गई है किंतु यह टैगिंग का काम ग्राम प्रधानों की सहमति के आधार पर करके गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है । यदि इसकी उच्च स्तरीय समिति बनाकर जांच कराई जाए तो विकास खंड अधिकारियों और कर्मचारियों तथा प्रधानों,सचिवों की सांठगांठ का खुलासा हो जाएगा । गांवों में अनेक लाभार्थी ऐसे भी हैं । जिन्होंने कई कई बार शौचालय का लाभ तो ले लिया लेकिन शौचालय अभी तक नहीं बने है । अनेक लाभार्थियों द्बारा पूर्व में बनाये गये शौचालयों को नया शौचालय घोषित कर दिया । सांठगांठ करके सरकारी धन का आहरण किया है ।
आवास लाभार्थी को मिलते हैं एक लाख 20 हजार –
पीएम आवास योजना के प्रत्येक लाभार्थी को अपना आशियाना बनाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपयें शासन द्वारा दिया जाता है । योजना के अनुसार लाभार्थी अपना आवास खुद बनाते हैं । इसके लिए उन्हें मनरेगा फंड से 18 हजार रुपयें पारिश्रमिक दिए जाते है ।
वादे को पूरा नहीं कर पा रही सरकार –
जिन लाभार्थियों का पीएम आवास सूची में नाम शामिल है । सरकार द्वारा योजना में राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी । जिससे गरीब लाभार्थी आवास नहीं बना सके । जगदीशपुर गांव निवासी मनोज,सुरेंद्र ने बताया ग्राम प्रधान से लेकर खंड विकास अधिकारी तक चक्कर काट चुके सिर्फ यही आशवासन दिया जाता कि धनराशि जारी होते लाभार्थियों के खाते में पहुंच जायेगी । कहाकि करीब तीन साल हो रहे अभी लाभ नहीं मिल सका ।
यूपी में 5.51 लाख लाभार्थियों को आवास –
केंद्र और प्रदेश की योगी सरकार 5.51 लाख गरीब लाभार्थियों का आवास देगी । जिसमें चार लाख से अधिक लोगों को आवास की चाभी दी जा चुकी है । प्रदेश में करीब पचीस करोड की आबादी है ।
कईयों परिवार ऐसे,जिन्हें पीएम आवास चयन सूची में शामिल तक नहीं किया गया । जिसके पीछे ग्राम प्रधान ने अपने चहेतों को आवास पात्रता सर्वे के दौरान लाभ चयन सूची में नाम शामिल करा दिया है । उन्होंने प्रतिद्वंद्वी रहे गरीब पात्र लोगों को वंचित रहने पर मजबूर किया । इस खामी को दूर कराने में अधिकारी और कर्मचारी भी नाकाम रहे ।