
वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र त्रिपाठी की खास रिपोर्ट
फतेहपुर,06 दिसम्बर । देवमई विकास खंड मुख्यालय के एक प्राथमिक विद्यालय में मास्टर साहब नहीं ग्राम प्रधान करा रहा था स्कूल के बच्चों से ईंट गारा ।
यह खंड शिक्षा अधिकारी देवमई का कहना है । मालूम हो कि गत दिवस विद्यालय में नौनिहालों से ईंट गारा कराए जाने का एक वीडियो वायरल हुआ था । जिसके जवाब में खंड शिक्षा अधिकारी ने उक्त बात अपने एक बयान में बताई है । हालांकि समाचार पत्र वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है ।
सरकार द्वारा आए दिन बाल मजदूरी के खिलाफ एक अभियान चलाकर कार्यवाही करने की बात कही जाती है । इसके बाद भी बाल श्रम अधिनियम की धज्जियां उड़ाने से लोग बाज नहीं आते है । बाल श्रम अधिनियम का देवमई विद्यालय में जहां उपहास किया गया है । वहीं खंड शिक्षा अधिकारी का हास्यास्पद बयान भी किसी के गले के नीचे उतरने वाला नहीं है ।
स्कूल के नन्हे बच्चों से मजदूरी कराने में जहां विद्यालय के प्रधानाध्यापक के खिलाफ जवाबदेही तय की जानी चाहिए थी वहीं खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा परदा डालने का प्रयास मात्र से कुछ ज्यादा नहीं है उनकी जांच रिपोर्ट ।
एक विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आने वाले देश कर्णधारों से ईंट गारा कराया जा रहा है जो बालश्रम उन्मूलन कानून के खिलाफ है जिसे वायरल वीडियो द्वारा संज्ञान में आने के बाद भी खंड शिक्षा अधिकारी का कहना कि विद्यालय का प्रधानाध्यापक नहीं ग्राम प्रधान निर्माण कार्य करा रहा था । बच्चे मजदूरी नहीं बल्कि खेल रहे थे भी कम हास्यास्पद नहीं है।ऐसा कौन सा खेल है । जिसमें फावड़ा से सीमेंट बालू का गारा बनाकर खेला जाता है । शायद शिक्षा अधिकारी या विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने यह कोई नया खेल ईजाद किया है । नन्हे-मुन्ने बच्चों का मजदूरी करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।क्या यह उसी खेल का एक भाग है ?
केंन्द्र व प्रदेश सरकार भले ही बच्चों का भविष्य संवारने के लिए मुहिम चला रही हो । लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी सरकार की साख और योजनाओं पर बट्टा लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं ।
यह मामला है विकास खंड मुख्यालय ग्राम देवमई के उच्च प्राथमिक विद्यालय द्वितीय का जहां स्कूल के बच्चे विद्यालय में चल रहे निर्माण कार्य में ईंट गारा कर बालश्रम कानून को पलीता लगा रहे हैं । जो वायरल वीडियो में काम करते हुए दिखाई दे रहे हैं । वायरल वीडियो में नन्हे मुन्ने बच्चे सीमेंट और मौरंग का मिश्रण बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं ।
दिलचस्प बात यह है कि यह उच्च प्राथमिक विद्यालय विकास खंड देवमई कार्यालय व बीआरसी मुख्यालय के ठीक सामने स्थित है । वायरल वीडियो में ग्राम प्रधान देवमई व विद्यालय के प्रधानाध्यापक भी मौके पर मौजूद दिखाई दे रहे है । विद्यालय के सामने मुख्यालय में बैठे अधिकारी यह सब देख कर भी आंख मूंदे रहे और प्रधानाध्यापक व ग्राम प्रधान मिलकर बाल मजदूरी कराते रहे ।
इस संदर्भ में जब खंड शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वायरल वीडियो को संज्ञान में लेकर विद्यालय में जाँच की गई है । बच्चों से प्रधानाध्यापक नहीं वल्कि ग्राम प्रधान काम करा रहा था । अब सवाल उठता है कि प्रधानाध्यापक और शिक्षक विद्यालय में मौजूद थे तो बच्चों से काम कराने पर रोक क्यों नहीं लगाई ।
खंड शिक्षा अधिकारी प्रवीण शुक्ल का यह बयान भी कितना हास्यास्पद है कि मध्यांतर अवकाश हुआ था । बच्चे उस पर खेल रहे थे । ईंट गारा गारा कौन सा खेल है शायद यह किसी ने सुना हो ?
खंड शिक्षा अधिकारी का कहना कि प्रधानाध्यपक ज्ञानेंद्र कुमार ने बच्चों को काम करने से रोका था । इसके बाद भी बच्चे नहीं माने करते रहे यह विद्यालय के अनुशासन पर क्या प्रश्न चिन्ह नहीं लगाता है ?
खंड शिक्षा अधिकारी की जांच रिपोर्ट आखिर किस बात को दर्शाती है ?
यह भी जांच का विषय हो सकता है ।