
– हिंदी केवल बोलचाल की भाषा नही कामकाज की भी भाषा होना चाहिए- सुनील भादू
नई दिल्ली । भाषा स्वयं में एक उत्सव है, संस्कृति है । बात जब देश-पर्व की आती है,तो भाषा,जनमानस को एक धागे में पिरोने व जोड़ने का कार्य करते हुए देश की साँझी संस्कृति को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे भी ले जाती है ।
इसी कड़ी में, दिल्ली नगर निगम द्वारा सिविक सेंटर स्थित, निगम मुख्यालय में हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत ‘मेरी माटी, मेरा देश’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
इस कार्यक्रम में निगम के कर्मचारियों व अध्यापकों के लिए देशभक्ति से परिपूर्ण एक विशेष संगोष्ठी तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस मौके पर दिल्ली नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त, सुनील भादू जी भी उपस्थित रहे । उनके अलावा निगम के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद रहे । अतिरिक्त आयुक्त,श्री सुनील भादू जी ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अपना सृजनात्मक सहयोग करने की अपील की ।
उन्होंने कहा कि हिन्दी केवल बोल चाल की भाषा ही नहीं; अपितु कामकाज की भी भाषा होनी चाहिए । उन्होंने निगम कर्मचारियों से अपील की कि वे अपना प्रशासनिक कार्य हिन्दी माध्यम से करें ।
प्रशासनिक अधिकारी राजेश निगम व उनकी टीम की देख रेख में आयोजित यह भव्य व देशभक्ति से सजा हुआ कार्यक्रम सभी विभागों के लिए एक प्रेरणा है । गणमान्य कवियों में राष्ट्रीय कवि,श्री अनित्य नारायण मिश्र ‘बेबाक’,पी. के. ‘आज़ाद’,कृष्णकान्त ‘मधुर’, रमेश गंगेले,ओज की कवयित्री नीतू पांचाल ‘निधि’ व अन्य नवोदित कवियों ने इस अवसर पर देशवीरों के बलिदान,सैनिकों के जीवन, देश की अनेकता में एकता वाली संस्कृति,धार्मिक एकता व धर्म निरपेक्षता,शहीदों की वीरगाथाओं व कारगिल युद्ध में भारत की जीत को जिस प्रकार ओज व ऊर्जा के साथ पढ़ा,वह युवा पीढ़ी के लिए अवश्य ही प्रेरित करने व झकझोरने वाला था । निगम के स्वास्थ्य विभाग व अन्य विभागों से भी बेहतरीन नाट्य प्रस्तुति पेश की गई । अतुल मुदगल,मुदित दीक्षित, अफ़ाक हुसैन व सारिका मिश्रा ने भी देश भक्ति शायरी,देशभक्ति गीतों व नृत्य के माध्यम से राष्ट्रवीरों को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए वतन की मिट्टी को नमन किया ।
निगम कर्मचारियों ने इस अवसर पर संवाद,कविताएं,दोहे व देशभक्ति से सराबोर गायन से जमकर तालियाँ बटोरीं व अपनी नृत्य प्रस्तुति के माध्यम से हिन्दी भाषा व देश की अन्य सभी भाषाओं का मान- सम्मान करते हुए सभी दर्शकों को प्रेरित किया ।
“जिन शहीदों की बदौलत,
आज हम आज़ाद हैं,
जो शहादत कर गए,
क्या वो हमें भी याद हैं ? ”
नीतू पांचाल ‘निधि’ जी की इन शानदार पंक्तियों ने शहीदों के बलिदान को सदा याद रखने के लिए प्रेरित किया ।