
– पत्नी पति को छोड़ कर गत 19 वर्षो से रह रही है मायके में
– पति टेस्टीकुलर मिक्स्ड जर्म ट्यूमर कैंसर का मरीज
फतेहपुर/अमौली : पति ने दौराने इलाज कर्ज को चुकाने व चल रहे इलाज खर्च को पूरा करने हेतु अपनी खेती व मकान बेचें इस बात को मालूम होते ही पत्नी ने पति के सहित पूरे परिवार को झूठे मुकदमे में फंसाया ।
शादी के 2 वर्ष बाद ही पति को छोड़कर चली गई पत्नी ने पैसों के लालच में विक्रीत जमीन को वापस पाने के लिए कर रखा है कोर्ट में भी मुकदमा ।
मामला थाना चांदपुर के अंतर्गत ग्राम अमौली का है जहां पर रहने वाले जितेंद्र कैंसर, मधुमेह व उच्च रक्तचाप जैसी गम्भीर बीमारियों से वर्षों से ग्रसित हैं । इन भयंकर बीमारियों के इलाज में हुए खर्चे के कारण व नौकरी छूट जाने से बेरोजगार व विवश होकर अपने हिस्से की खेती व मकान को बेंच दिया था । इस बात को पत्नी सरोज को मालूम होते ही खेती वापस पाने की हवस में अंधी होकर पति की भयंकर बीमारियों की परवाह न करते हुए पति पर दबाव बनाने हेतु झूठा मुकदमा लिखवा दिया ।
अपनी गलत चाल चलन के चलते पत्नी सरोज अपनी ससुराल अमौली में विगत 19 वर्षों से नहीं रह रही है जमीन बिक जाने की खुन्नस में पति एवं ससुराली जनों पर झूठी तहरीर देकर 8 सितंबर 2021 को चाँदपुर थाने में विभिन्न धाराओं में एक मुकदमा पंजीकृत कराया पीड़ित पति जितेन्द्र ने बताया कि उसकी शादी 21 फरवरी 2000 को कानपुर में हुई थी ।परंतु शादी के दिन से ही पत्नी सरोज ने पति व ससुरालीजनों को प्रताड़ित करना प्रारंभ कर दिया । वह सैर सपाटा व बाहर खाने पीने की शौकीन होने के चलते गांव में लाज के पर्दे में रहने से साफ मना कर दिया व सास-ससुर को छोड़कर कानपुर में रहने का दबाव बनाने लगी उसके कर्कस व्यवहार, आए दिन गाली-गलौज झगड़े और उसके भाई संजय, बहन मीनाक्षी द्वारा आए दिन गुंडों को लेकर आते व पुलिस बुला लेने की धमकियाँ देते एवं हंगामा करते ताकि मानसिक रूप से परेशान जितेन्द्र आत्महत्या कर ले फिर सरोज पति की चल अचल संपत्ति हड़प सके ।
सरोज ने अपने खराब चाल चलन के चलते 2002 में अपने पति की अनुपस्थिति में ससुराल से अपना सारा सामान व स्त्री धन लेकर आए हुए अज्ञात लोगों के साथ अपने मायके चली गई जहां 2002 में ही लड़की शुभांशी पैदा हुई । सरोज के इस सामाजिक प्रतिष्ठा को नष्ट करने वाले कृत्य, प्रताड़ना व बदनामी को बर्दाश्त न कर पाने के कारण ससुर को हार्ट अटैक आया और उनकी असामयिक मृत्यु हो गई ।
सरोज द्वारा 2006 में किए गए मेंटेनेंस के मुकदमे में जितेन्द्र द्वारा समझौता कर लेने पर भी वह साथ रहने को तैयार नहीं हुई बहुत आरजू मिन्नतों के पश्चात बेटी को भेज दिया उस स्कूल में पढ़ रही बेटी को 2009 में अपने रिश्तेदार राजेंद्र दीक्षित द्वारा स्कूल से अपहरण करा लिया इसके पश्चात हुई पंचायत में भी वह आने को तैयार नहीं हुई ।
2011 में जितेंद्र को टेस्टिकुलर मिक्स्ड जर्म ट्यूमर कैंसर होने के कारण राजीव गांधी कैंसर हॉस्पिटल नई दिल्ली में बड़े-बड़े दो ऑपरेशन एवं कई कीमोथेरेपी व इलाज हुआ । आज भी फालोअप चल रहा है जिसके कारण जितेंन्द्र पर लाखों का कर्जा हो गया और प्राइवेट कालेज की नौकरी भी छूट गई बाद में पत्नी की मानसिक प्रताड़ना के चलते शुगर व हाई बीपी की बीमारी ने भी जकड़ लिया बेरोजगारी व इन गंभीर बीमारियों के चलते कर्ज व खर्च से परेशान मजबूरी में घर व खेत बेचने से प्राप्त पैसों पर सरोज की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है ।
मई 2019 में सरोज बेटी शुभांशी भाई संजय व बहन मीनाक्षी ने स्थानीय असामाजिक तत्वों की मदद से अपनी ससुराल के घर का ताला तोड़कर 20 कुंतल गेहूं व अन्य सामान लूट कर, गेहूं स्थानीय व्यापारी को बेंच दिया पुलिस चौकी में उक्त घटना की तहरीर देने पर भी कोई कानूनी कार्यवाही ना होने के कारण उक्त लोगों ने 14 जुलाई 2021 को पुन: विक्रीत घर का ताला तोड़कर नगदी जेवर आदि को लूट कर ले गए ।
इस घटना की भी सूचना 112 नंबर पर दी गई व पुलिस चौकी में लिखित रूप से शिकायत दर्ज कराई गई परंतु कोई भी कार्यवाही आरोपियों के ऊपर नहीं की गई । बार- बार हुई लूट में सफल हो जाने के कारण सरोज के मुंह में मुफ्त के धन का खून लग चुका था । जिसके कारण जितेंद्र को जान से मारने का भी कई बार प्रयास कर चुकी है ।
पति-पत्नी के वर्तमान में मेंटेनेंस व संबंध विच्छेद के मुकदमे न्यायालय में विचाराधीन है । इसके बावजूद सरोज ने अपनी लड़की शुभांशी द्वारा अपने सगे पिता पर छेड़खानी सहित अन्य झूठे मुकदमे लिखाने का भी असफल प्रयास किया है ।
धनबल का प्रयोग कर, महिला होने का दुरुपयोगकर, संवेदना प्राप्तकर,कूट रचित,असत्य,तथ्यहीन मुकदमा जितेंद्र व ससुराली जनों पर सिर्फ इसलिए लिखवाया क्योंकि सरोज व उसकी लड़की द्वारा खेती व मकान की बिक्री से प्राप्त पैसा मांगने पर पति जितेंद्र ने नहीं दिया । जबकि सरोज व उसकी पुत्री चट्टे से दूध का व्यापार,स्टेशनरी व फोटोकॉपी की दुकान के साथ ही विद्यालय में अध्यापन कार्य करके भी पैसा कमा रही हैं ।
जितेंद्र का कहना है कि वह कैंसर, शुगर व हाई बीपी के इलाज में हजारों रुपया प्रति माह खर्च करता है व कुछ निजी खर्चे भी होते हैं अगर वह अपनी औरत को पैसे दे देगा तो बिना इलाज के मर जाएगा इससे अच्छा है वह किसी भी तरीके से आत्महत्या कर ले ।
अगर शासन- प्रशासन न्यायालय से पुरुष होने के नाते कोई संवेदना मदद न्याय मिल पा नहीं मिल पा रहा है तो मुझे इच्छामृत्यु की अनुमति दे दी जाए ताकि मैं अपनी पत्नी और पुत्री द्वारा हो रही प्रताड़ना, साजिशों, जान से मार दिए जाने की दहशत व जिल्लत भरी जिंदगी से मुक्ति पा सकूँ एवं मेरे निर्दोष घर वाले 75 वर्षीय वृद्ध माता भी सरोज व उसके भाई-बहन के अत्याचारों से निजात पा सके ।
मैं ससुराली जनों के भय से छुपते-छुपाते दर-दर भटकते हुए प्रशासन व न्यायालय के द्वारा न्याय की आस में पुलिस स्टेशन और कोर्ट के चक्कर काट रहा हूँ । जहाँ दुत्कार व निराशा ही अभी तक हाथ लगी है फिर भी मेरा न्याय व्यवस्था पर विश्वास दृढ़ है आज नही तो कल सच्चाई की ही जीत होगी ।