
– बच्चे स्वाभाविक रूप से नई चीजों की खोज और समझ में रुचि रखते हैं;सुरक्षित वातावरण में गतिविधियाँ उनके मस्तिष्क के न्यूरोनल कनेक्शनों को मजबूत करती हैं – डॉ० रघुनाथ सिंह
फतेहपुर । निदेशक नीति आयोग भारत सरकार के निर्देशानानुसार संचालित परियोजना जीवन के प्रथम 1000 दिवस की चार दिवसीय तकनिकी “प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण” कार्यशाला का हुआ समापन ।
प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन मुख्य चिकित्साधिकारी स्वास्थ्य डॉ. इस्तियाक अहमद एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास पुष्टाहार विभाग साहब यादव की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ । 19 जून 2024 से आरम्भ हुई इस कार्यशाला में “प्रारंभिक बाल्यावस्था के दौरान संवेदनशील परवरिश एवं मस्तिष्क विकास हेतु सीखने के अवसरों को बढ़ाने” से सम्बंधित विषयों पर विभिन्न विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिए गए साथ ही संकल्पना विकसित भारत की संकल्पना को पूर्ण करने के लिए मानव संसाधन विकास की रणनीतियों अंतर्गत जिले के पांच ब्लॉकों—तेलियानी,भिटौरा,मलवा,हसवा और आकांक्षात्मक ब्लॉक हथगाम—से आए प्रतिभागियों को वैन लीर फाउंडेशन एवं विक्रमशिला एज्युकेशन रिसोर्स सोसाइटी के संयुक्त प्रयास से कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के लिए गहन प्रशिक्षण दिया गया । इस पहल का उद्देश्य गर्भवती,स्तनपान कराने वाली महिलाओं एवं साथ ही 0-2 वर्ष के बच्चों के देखभालकर्ताओं को प्रारंभिक बाल्यावस्था में संवेदनशील देख भाल,सीखने के अवसरों को बढ़ाने के बारे में उन्नत जानकारी प्रदान करना है ।
समापन के अवसर पर मुख्यचिकित्साधिकारी डॉ० इस्तियाक अहमद ने अपने उद्बोधन में प्रशिक्षण में आये समस्त प्रतिभागियों से कहा की ।इस प्रशिक्षण श्रंखला में 3 पृथक-पृथक बैचों में लगभग 185 मुख्य प्रशिक्षकों को तैयार किया जा रहा है । जो इस प्रशिक्षण के उपरान्त सम्पूर्ण ज़िले के लगभग 6 हजार से अधिक जमीनी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे । जिसकी सफलता केवल अंतर्विभागीय समन्वय से ही संभव है । भारत के मात्र दो आकांक्षी ज़िलों उत्तर प्रदेश के फतेहपुर एवं उड़ीसा के कोरापुट में यह योजना चलाई जा रही है । जिसमें किये गए नवाचारों का लाभ एवं सीख देश के अनेक ज़िलों तक पहुंचाई जानी है । इसलिए इस कार्य को पूर्ण ज़िम्मेदारी के साथ किया जाना आवश्यक है ।
प्रशिक्षण कार्यशाला में तकनिकी प्रशिक्षक की मुख्य भूमिका में रहे प्रभारी,चिकित्साधिकारी,पोषण पुनर्वास केंद्र, जिला अस्पताल फ़तेहपुर से डॉ रघुनाथ सिंह ने अपने सत्र के दौरान बताया की एक नवजात शिशु मस्तिष्क में लगभग 100 अरब न्यूरॉन्स के साथ जन्म लेता है । जन्म के बाद, शिशु के मस्तिष्क में न्यूरॉन्स के बीच सिनैप्टिक कनेक्शन तेजी से बनते हैं । पहले कुछ वर्षों में,यह संख्या उच्चतम स्तर तक पहुँच जाती है । जो कि बाद में अनुभव व सीखने के अवसरों के आधार पर कुछ कम हो जाती है । गर्भावस्था की तीसरे त्रैमास के दौरान ही गर्भ में पल रहा बच्चा माँ के गर्भ से बाहर हो रही आवाजों को सुनने लगता है साथ ही स्पर्श को भी महसूस करने लगता है । अतः गर्भावस्था से 2 वर्ष की उम्र तक बेहद संवेदनशील परवरिश की आवश्यकता होती है । बच्चे के मानसिक विकास की गति सम्पूर्ण जीवनकाल के इस भाग में सबसे तेज होती है मानसिक ,शारीरिक एवं भवनात्मक विकास के लिए उचित पोषण और स्वास्थ्य पर जोर देते हुए उन्होंने गर्भकाल से लेकर 2 वर्ष तक माँ और बच्चे दोनों के लिए गर्भावस्था के दौरान आयरन एवं विटामिन्स से भरपूर अच्छे पौष्टिक आहार,जन्म से 1 घंटे के अंदर स्तन पान, 6 माह तक केवल स्तनपान एवं 6 माह के बाद समय पर पूरक पोषण आहार की शुरुवात व सम्पूर्ण टीकाकरण को अत्यतं महत्वपूर्ण बताया ।
मेडिकल कालेज फतेहपुर में सह आचार्य डॉ प्रज्ञाश्री ने अनीमिया एवं कुपोषण से जूझ रही महिलाओं को विशेष प्राथमिकता देने पर जोर दिया और बताया की गर्भावस्था के दौरान महिला के स्वास्थ्य,पोषण, उचित आराम के घंटे एवं घर का वातावरण बच्चे के मानसिक विकास पर सीधा असर करता है इसलिए गर्भवती माताओं का प्रथम तैमास में शीघ्र पंजीयन कर खतरे के लक्षणों की पहचान अत्यंत आवश्यक है ।
प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण की इस कार्यशाला में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला मातृत्व एवं बाल स्वास्थ्य परामर्शदाता अलोक कुमार ने वी. एच.एस.एन.डी. एवं गृह भ्रमण आधारित व्यक्तिगत एवं पारिवारिक परामर्श में स्वास्थ्य एवं पोषण के साथ बच्चे के मानसिक,भावनात्मक एवं शारीरिक विकास को महत्वपूर्ण रूप से शामिल करने की बात कही व टीकाकरण कार्ड को जानकारी के प्रचार एवं प्रसार का मूल माध्यम बताया ।
प्रशिक्षण के दौरान जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक धीरेन्द्र कुमार वर्मा द्वारा प्रशिक्षण में व्यवहार परिवर्तन एवं संचार विषय पर महत्वपूर्ण तथ्यों एवं उदाहरणों के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया गया । अन्य अंतरविभागीय प्रशिक्षक के रूप में पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग से सहायक विकास कार्यक्रम अधिकारी राम शंकर वर्मा द्वारा परियोजना के क्रियान्वयन में जन प्रतिनिधियों की भागीदारी को सुनिश्चित करने के उपाय एवं बाल हितैषी आँगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण हेतु परवरिश की चौपाल आदि की बैठकों को गंभीरता पूर्वक करने पर जोर दिया । इस चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में बच्चों के विकास में पिता अथवा घर के पुरुषों की भागीदारी को भी प्रमुखता के साथ रेखांकित किया गया और इस हेतु विभिन्न उदाहरणों व वीडियो के माध्यम से उन्हें प्रोत्साहित करने की भी बात की गई ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र के दौरान राज्य प्रमुख साक्षी पवार,जिला कार्यक्रम समन्वयक अनुभव गर्ग, विषय विशेषज्ञ पोषण एवं स्वास्थ्य सोनल रूबी राय,विषय विशेषज्ञ प्रारंभिक बाल्य विकास आर्यन कुशवाहा ,परियोजना अधिकारी प्रशांत पंकज एवं अनामिका पांडेय के द्वारा समस्त विभागीय अधिकारीयों एवं समस्त ब्लाकों से आये प्रतिभागियों के सक्रीय योगदान के लिए आभार व्यक्त किया ।