
– 0 अधिकारियों ने कार्यालय बैठे सत्यापन कर 15वें वित्त से कर कर दिया भुगतान
कोरबा/पोड़ी उपरोड़ा । बुनियादी विकास के ज्यादातर कार्य कागजों पर कराकर सरकारी धन से स्वयं का आर्थिक विकास करने वाले कुटेशर नगोई सरपंच सचिव ने उप स्वास्थ्य केंद्र मरम्मत और सचिव आवास रंगाई पोताई व मरम्मत का बिना काम कराए जहां 15वें वित्त से 1.30 लाख का आहरण कर गबन कर दिया, तो ऐसे ही एक और कारनामे को अंजाम देते हुए 300 मीटर के पहुँचमार्ग मुरुमीकरण पर 2.20 लाख की राशि निकाली गई है जिस भुगतान मामले को लेकर संबंधित अधिकारियों ने भी कार्यालय बैठे- बैठे कागज पर सत्यापन कर राशि जारी कर दिया ।
पंचायत सरपंच श्रीमती अनिता ओड़े व सचिव ने मिलकर 300 मीटर के पहुँचमार्ग मरम्मत कार्य पर 2.20 लाख का मुरुम बिछाया है । जबकि हकीकत यह है कि पहुँचमार्ग मरम्मत में चंद ट्रेक्टर मुरुम डाला गया है ।
ऑनलाइन सिस्टम में उल्लेखित कार्य के अनुसार कुटेशर नगोई से अमल डीहा पहुँच मार्ग मुरुमीकरण पर रिचार्ज बाउचर तिथि 22/11/2022 को 1,31,978 रुपए तथा 06/01/2023 की तिथि में 88,000 रुपए राशि भुगतान का उल्लेख है । लेकिन जब मौके पर पहुँच देखा गया तब हैरानी वाली बात सामने आयी । जिसके मुताबित कुटेशर नगोई से अमलडीहा पहुँचमार्ग निर्माण का काम लगभग 5 वर्ष पूर्व मनरेगा के तहत हुआ है । जिसके करीब 300 मीटर का दायरा कुटेशर नगोई पंचायत की सीमा में आता है तथा आगे का कच्चा मार्ग अमलडीहा पंचायत में समाहित है ।
जिस 300 मीटर पहुँच मार्ग सुधार कार्य में 2,19,978 लाख के मुरुमीकरण का कार्य बता पंचायत के 15वें वित्त आयोग मद से राशि आहरण किया गया है । ग्रामीणों से जब जानकारी ली गई तो वे भी हैरान रह गए कि कब उक्त पहुँच मार्ग में इतने लागत के मुरुमीकरण का काम हुआ है तथा उन्होंने कहा कि सरपंच सचिव द्वारा जितनी राशि मुरुमीकरण पर निकाली गई है उतने में तो 300 मीटर तक कांक्रीट सड़क बन जाता । अब यह समझ से परे है कि जब 15वें वित्त मद से मुरुमीकरण के कार्य नही कराए जाने संबंधी शासन प्रशासन का सख्त निर्देश है । बावजूद इसके पोड़ी उपरोड़ा जनपद पंचायत कार्यालय के अधिकारियों ने किस आधार पर भुगतान की सहमति दे दी । कहीं न कहीं संबंधितों के कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह लगता है कि बिना मौका मुआयना के पहुँचमार्ग मुरुमीकरण की रिपोर्ट जारी कर और लाखों के भुगतान की गई वह भी 15वें वित्त आयोग मद से । यदि इस पंचायत में मूलभूत, 14वें, 15वें वित्त से कराए गए कार्यो एवं भुगतान संबंधित दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जाए तो सरपंच सचिव के गोलमाल की सारी पोल खुल जाएगी । लेकिन पंचायत में भ्रष्ट्राचार के मामले सामने आने के बाद भी जब जांच कार्यवाही को लेकर पंचायत विभाग के अधिकारी ही ध्यान न दे और आनाकानी करें तो भला ऐसे में भ्रष्ट्र सरपंच सचिव के हौसलों को उड़ान मिलना स्वाभाविक है ।
इस संबंध पर प्रतिक्रिया जानने पंचायत सचिव जय रतन सिंह कंवर से मोबाइल पर संपर्क किया गया । किंतु उनसे संपर्क न हो पाने के कारण उनकी प्रतिक्रिया नही मिल पायी ।